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tabiiyat in dino.n begaanaa\-e\-Gam hotii jaatii hai - - Begum Akhtar

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तबीयत इन दिनों बेगाना-ए-ग़म होती जाती है
मेरे हिस्से की गोया हर ख़ुशी कम होती जाती है

क़यामत क्या ये ऐ हुस्न-ए-दोआलम होती जाती है
के महफ़िल तो वही है दिलकशी कम होती जाती है

वही हैं साहिल-ओ-साक़ी मगर दिल बुझता जाता है
वही है शम्म-ए-दिल रोशनी कम होती जाती है

वही मयख़ान-ओ-रहबाँ वही शीशा वही साग़र
मगर आवाज़-ए-नौशानोश मद्धम होती जाती है

वही है ज़िंदगी लेकिन 'जिगर' ये हाल है अपना
के जैसे ज़िंदगी से ज़िंदगी कम होती जाती है

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