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shaam ra.ngiin huii hai tere aa.Nchal kii tarah

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सु: शाम रंगीन हुई है तेरे आँचल की तरह
सुर्मई रंग सजा है तेरे काजल की तरह
उ: पास हो तुम मेरे दिल के मेरे आँचल की तरह
मेरी आँखों में बसे हो मेरे काजल की तरह

उ: मेरी हस्ती पे कभी यूँ कोई छाया ही न था
सु: तेरे नज़्दीक मैं पहले कभी आया ही न था
उ: मैं हूँ धरती की तरह तुम किसी बादल की तरह
सु: सुर्मई रँग सजा है तेरे काजल की तरह

उ: आस्मान है मेरे अर्मानों के दर्पन जैसे
सु: दिल यूँ धड़के कि लगे बज उठे कँगन जैसे
उ: मस्त हैं आज हवाएं किसी पायल कि तरह
सु: सुर्मई रँग सजा है तेरे काजल की तरह

उ: ऐसी रँगीन मुलाक़ात का मतलब क्या है
सु: इन छलकते हुए जज़्बात का मतलब क्या है
उ: आज हर दर्द भुला दो किसी पागल की तरह
सुर्मई रँग सजा है तेरे काजल की तरह

Comments/Credits:

			 % Transliterator: Rajiv Shridhar 
% Credits: Mahesh Saptarshi 
%          Manjeet Rekhi 
% Date: 06/12/1996
		     
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