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ik tiir jigar pe khaa kar ham na idhar ke rahe

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इक तीर जिगर पे खा कर हम -२
न इधर के रहे न उधर के रहे -२
सीने में आग लगा कर हम
न इधर के रहे न उधर के रहे -२

( नज़रों की भी टक्कर हो गई
लड़ती भी गईं शरमा भी गईं ) -२
पर दिल से दिल टकरा कर हम
न इधर के रहे न उधर के रहे -२
इक तीर जिगर पे खा कर हम
न इधर के रहे न उधर के रहे -२

जब याद किसी की आती है -२
आँखों से आँसू गिरते हैं
दिल में तूफ़ान उठा कर हम
न इधर के रहे न उधर के रहे -२

इक तीर जिगर पे खा कर हम
न इधर के रहे न उधर के रहे -२

( हैं फूल और काँटे दोनों ही
उलफ़त की रंगीली राहों में ) -२
उलफ़त में पाँव बढ़ा कर हम
न इधर के रहे न उधर के रहे -२

इक तीर जिगर पे खा कर हम
न इधर के रहे न उधर के रहे -२
सीने में आग लगा कर हम
न इधर के रहे न उधर के रहे -२

Comments/Credits:

			 % Credits: U.V. Ravindra
		     
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