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ek din laahor kii ThaNDii sa.Dak ... tabiiyat saaf ho gayii

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चि : एक दिन लाहोर की ठण्डी सड़क पर शाम को
जा रहे थे साइकल पर हम ज़रूरी काम को
र : अजी सामने से आ रही थीं बुलबुलों की टोलियाँ
रोक कर साइकल लगे हम सुनने मीठी बोलियाँ

उठ तेरी
र : बिगड़ गई बनते-बनते बात
चि : हुई वो जूतों की बरसात
तबीयत साफ़ हो गयी, साफ़
को : तबीयत साफ़ हो गयी, साफ़ हो गयी, साफ़ हो गयी, साफ़
तबीयत साफ़ हो गयी, साफ़ हो गयी, साफ़

बिगड़ गई बनते-बनते बात
हुई वो जूतों की बरसात
तबीयत साफ़ हो गयी, साफ़

गी : चले थे करने कारोबार
सड़क पर कर बैठे क्यों प्यार
र : हो गया पल भर में ये हाल
को : के उड़ गये सर के सारे बाल -२
तबीयत साफ़ हो गयी, साफ़
तबीयत साफ़ हो गयी, साफ़ हो गयी, साफ़ हो गयी, साफ़
तबीयत साफ़ हो गयी, साफ़ हो गयी, साफ़
बिगड़ गई बनते-बनते बात
हुई वो जूतों की बरसात
तबीयत साफ़ हो गयी, साफ़

चि : मिला ये उलफ़त का ईनाम -२
र : हो गये घर-घर में बदनाम -२
गी : गये थे बन के ये गुलफ़ाम
वापिस आये घुटना थाम
ये वापिस आये घुटना थाम
को : तबीयत साफ़ हो गयी, साफ़
तबीयत साफ़ हो गयी, साफ़ हो गयी, साफ़ हो गयी, साफ़
तबीयत साफ़ हो गयी, साफ़ हो गयी, साफ़
बिगड़ गई बनते-बनते बात
हुई वो जूतों की बरसात
तबीयत साफ़ हो गयी, साफ़

गी : कहूँ मैं एक पते की बात -२
ये ज़ालिम दिल है बड़ा बदज़ात -२
चि : इसी दिल की थी करतूत
को : इसी ने पड़वाये हैं जूत -२
तबीयत साफ़ हो गयी, साफ़
तबीयत साफ़ हो गयी, साफ़ हो गयी, साफ़ हो गयी, साफ़
तबीयत साफ़ हो गयी, साफ़ हो गयी, साफ़
बिगड़ गई बनते-बनते बात
हुई वो जूतों की बरसात
तबीयत साफ़ हो गयी, साफ़

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