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zi.ndagii kii qasam, ho chuke unake ham

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ज़िंदगी की क़सम, हो चुके उनके हम
यह ज़माना दीवाना जो चाहे कहे

प्यार करके निभाना बड़ी चीज़ है
दिल की दुनिया भी आखिर कोई चीज़ है
ज़िंदगी भर न हम उनसे होंगे जुदा
दिल की राहों पे चलते रहेंगे सदा
जैसे तूफ़ान की मौजों में साहिल रहे

ज़ोर किसका चला है, भला इश्क़ पर
अपना-अपना है दिल, अपनी-अपनी नज़र
यह न होगा के हम उनसे मुँह मोड़ लें
डोर तक़दीर की बाँधकर तोड़ दें
आदमी वो जो वादे पे कायम रहे

Comments/Credits:

			 % Transliterator: Rajiv Shridhar 
% Date: 04/15/1997
		     
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