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zamaane me.n ajii aise ka_ii naadaan hote hai.n

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ज़माने में अजी ऐसे कई नादान होते हैं
वहाँ ले जाते हैं कश्ती जहाँ तूफ़ान होते हैं

शमा की बज़्म में आ कर के परवाने समझते हैं
यहीं पर उम्र गुज़रेगी यह दीवाने समझते हैं
मगर इक रात के यह तो फ़क़त मेहमान होते हैं
ज़माने में ...

मोहब्बत सबकी मह्फ़िल में शमा बन कर नहीं जलती
हसीनों की नज़र सब पे छुरी बन कर नहीं चलती
जो हैं तक़दीर वाले बस वही क़ुर्बान होते हैं
ज़माने में ...

डुबो कर दूर साहिल से नज़ारा देखनेवाले
लगा कर आग चुप के से तमाशा देखनेवाले
तमाशा आप बनते हैं तो क्यों हैरान होते हैं
ज़माने मेइं ...

Comments/Credits:

			 % Transliterator: Rajiv Shridhar 
% Date: 03/30/1997
		     
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