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ye meraa shahar\-e\-wafaa aur mai.n akelaa aadamii

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ये मेरा शहर-ए-वफ़ा और मैं अकेला आदमी
मेरे लाखों आशना और मैं अकेला आदमी

एक ही सर है झुका सकता हूँ किस किस के लिये
अनगिनत मेरे ख़ुदा और मैं अकेला आदमी

घूमता फिरता हूँ शायद मुझसा कोई आ मिले
ग़म के मेले जा-ब-जा और मैं अकेला आदमी

मेरा साया मर न जाये रात के इस दश्त में
कितना लम्बा रास्ता और मैं अकेला आदमी

मिलके हव्वा से किया आबाद इसे मैंने 'क़तील'
ये जहाँ मेरी अता और मैं अकेला आदमी

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