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ye dil nahii.n ki jisake sahaare jiite hai.n

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ये दिल नहीं कि जिसके सहारे जीते हैं
लहू का जाम है जो सुबह-ओ-शाम पीते हैं
ये दिल नहीं है ...

छुपाया लाख मगर इश्क़ नहीं छुपता
यूँ अश्क़ आँख में आया हुआ नहीं रुकता
कि आग लगती है जब आँसुओं को पीते हैं
लहू का जाम है ...

तड़प-तड़प के निकालेंगे दिल के अरमाँ हम
करेंगे रंज से पैदा ख़ुशी के समाँ हम
कि ग़मों की नोक से दिल के ज़ख़्म सीते हैं
लहू का जाम है ...

कभी क़रार न आएगा हमको जीने से
इलाज ज़हर का होता है ज़हर पीने से
कि सर पे मौत का साया है फिर भी जीते हैं
लहू का जाम है ...

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