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yadaa yadaahi dharmasy ... ghaat ghaat ghaat

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यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मान.म सृजाम्यहम
परित्राणाय साधुनाम विनाषाय च दुष्कृताम
धर्म संस्थापनार्थाय स.म्भवामि युगे युगे

जो हुआ वो अच्छा हुआ
जो हो रहा है वो अच्छा हो रहा है
और जो होगा वो भी अच्छा होगा
तुम क्या लाए थे जो ले जाओगे
तुमने क्या पैदा किया जो नष्ट हो गया
जो आज तुम्हारा है वो कल किसी और का था
और कल किसी और का होगा
जैसा बोओगे वैसा पाओगे
अपने कर्मों का फल यहीं भुगत कर जाओगे

घात घात घात

जो हुआ वो अच्छा हुआ
जो हो रहा है वो अच्छा हो रहा है
और जो होगा वो भी अच्छा होगा

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