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wo kabhii mil jaaye.n to kyaa kiijiye

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वो कभी मिल जायें तो क्या कीजिये
रात दिन सूरत को देखा कीजिये

चाँदनी रातों में इक इक फूल को
बेख़ुदी कहती है सजदा कीजिये

जो तमन्नाबर न आये उम्र भर
उम्र भर उसकी तमन्ना कीजिये

इश्क़ की रंगीनियों में डूब कर
चाँदनी रातों में रोया कीजिये

हम ही उसके इश्क़ के क़ाबिल न थे
क्यूँ किसी ज़ालिम का शिकवा कीजिये

Comments/Credits:

			 % This is also in "The Best of Ghulam Ali".
		     
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