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ulfat ke hai.n kaam niraale

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हस्रत-ओ-यास को ले कर शब-ए-ग़म आई है
भीड़ की भीड़ है, तनहाई ही तनहाई है

उल्फ़त के हैं काम निराले
बन बन के बिगड़ जाते हैं
क़िस्मत में न हो तो साथी
मिल मिल के बिछड़ जाते हैं
उल्फ़त के हैं ...

( उम्मीदें भी हैं इक सपना
दुनिया में नहीं कुच अपना ) -२
आँसू हैं तो बह जाते हैं
अरमाँ है तो ? जाते हैं
उल्फ़त के हैं ...

( आवाज़ उठी है दिल से
बेदर्द ज़माने सुन ले ) -२
कल तू भी उजड़ जायेगा
हम आज उजड़ जाते हैं
उल्फ़त के हैं ...

Comments/Credits:

			 % Transliterator: Srinivas Ganti 
% Date: 15 April,2001 
% Comments: LATAnjali
		     
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