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tum zi.ndagii ko Gam kaa fasaanaa banaa gaye

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(तुम ज़िंदगी को ग़म का ...
तुम ज़िंदगी को ग़म का, फ़सान बना गये
आँखों में इंतज़ार की दुनिया बसा गये) - २

तुम थे की मेरे प्यार की दुनिया बसी हुई - २
ओ ओ, तुम थे की ज़िंदगी के अंधेरे में रोशनी
तुम क्या गये चराग़-ए-मोहब्बत बुझा गये
तुम ज़िंदगी को ग़म का ...
तुम ज़िंदगी को ग़म का, फ़साना बना गये
आँखों में इंतज़ार की दुनिया बसा गये

दुनिया उजड़ गयी मेरे सब्र-ओ-करार की-२
ओ ओ, रो रो के रात काटती हूँ इंतज़ार की
जब चाँद पर नज़र पड़ी तुम याद आ गये
तुम ज़िंदगी को ग़म का ...
तुम ज़िंदगी को ग़म का, फ़सान बना गये
आँखों में इंतज़ार की दुनिया बसा गये

Comments/Credits:

			 % Transliterator: Pavan Kumar Desikan 
% Editor: Rajiv Shridhar 
% Date: 11/03/1996
% Comments: Producer - Film Asia
		     
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