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tiir pe tiir khaaye jaa zulm\-o\-sitam uThaaye jaa

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( तीर पे तीर खाये जा
ज़ुल्म-ओ-सितम उठाये जा
ऐ मेरे बेक़रार दिल
गीत वफ़ा के गाये जा ) -२

ख़ुशी ग़मों के अन्धेरे को जगमगाती है
ख़िज़ाँ के बाद हमेशा बहार आती है
( प्यार के दिन भी आयेंगे
हिज़्र के दिन बिताये जा ) -२

तीर पे तीर खाये जा
ज़ुल्म-ओ-सितम उठाये जा
ऐ मेरे बेक़रार दिल
गीत वफ़ा के गाये जा

न छोड़ सब्र का दामन कोई ये कह न सके
के चार दिन भी मोहब्बत में रंज सह न सके
( झेल ख़ुशी से हर सितम
लब पे हँसी बसाये जा ) -२

तीर पे तीर खाये जा
ज़ुल्म-ओ-सितम उठाये जा
ऐ मेरे बेक़रार दिल
गीत वफ़ा के गाये जा

Comments/Credits:

			 % Song courtesy: http://www.indianscreen.com (Late Shri Amarjit Singh)
		     
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