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taubaa kaise hai.n naadaan ghu.Ngharuu paayal ke

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तौबा -२
तौबा कैसे हैं नादान घुँघरू पायल के
इक दिन लेंगे मेरी जान घुँघरू पायल के

शर्म के मारे लाल पड़ गया रंग मेरा बादामी
छनक-छनक के गली-गली में करें मेरी बदनामी
घुँघरू पायल के
तौबा कैसे हैं ...

कैसे कोई भेद छुपाए घर का भेदी लंका ढाए
दे-दे के मैं हारी सारी राम-रहीम की क़समें
ऐसा लगता है ये निगोड़े नहीं किसी के बस में
इक दिन लेंगे मेरी जान घुँघरू पायल के
तौबा कैसे हैं ...

छुप के गली से कैसे गुज़रूँ छत से नीचे कैसे उतरूँ
कभी-कभी मैं सोचूँ इनको फेकूँ अभी उतारूँ
टोकने वाली उसी पड़ोसन के मुँह पर दे मारूँ
भरते हैं लोगों के कान घुँघरू पायल के
ओ तौबा कैसे हैं ...

छम-छम ये बज उठते हैं पग में काँटें चुभते हैं
मीठा-मीठा दर्द निगोड़ा मेरा मेरे मन से निकले
इन्हें निकालूँ पैरों से तो जान बदन से निकले
मेरे दिल के हैं अरमान घुँघरू पायल के
तौबा कैसे हैं ...

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