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sur badale kaise\-kaise dekho qismat kii shahanaa_ii

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सुर बदले कैसे-कैसे देखो क़िस्मत की शहनाई
हाथ में आया ना हाथ पिया का काहे को मेंहदी रचाई

बिखर गईं सेहरे की कलियाँ हार सिंगार भी पड़ गया फीका
घूँघट ही की ओट से पाया चार घड़ी बस दर्शन पी का
टूट गए सब सुन्दर सपने रात मिलन की न आई
सुर बदले कैसे-कैसे ...

कल तक थीं रंगीन बहारें आज क़फ़स है और ज़ंजीरें
तारों की गर्दिश के आगे काम न आईं कुछ तदबीरें
हसरत थी दिल को मेलों की और मिली है तन्हाई
सुर बदले कैसे-कैसे ...

फूल चमन से ऐसे निकला फूल न हो कोई धूल हो जैसे
दी भी सज़ा तो ऐसी सज़ा दी फूल का खिलना भूल हो जैसे
जितना स.म्भल के पाँव उठाया उतनी ही ठोकर खाई
सुर बदले कैसे-कैसे ...

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