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so_ii hai kahaa.N jaa kar taqadiir mohabbat kii

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( सोई है कहाँ जा कर तक़दीर मोहब्बत की
अब मौत ही बातें तदबीर मोहब्बत की ) -२
सोई है कहाँ जा कर

मन्ज़िल है वही अपनी मिल जावो जहाँ हमको
मालूम नहीं लेकिन मन्ज़िल का निशाँ हमको
मन्ज़िल का निशाँ हमको
(?) के लिये फिरती है ज़न्जीर मोहब्बत की

अब मौत ही बातें तदबीर मोहब्बत की
सोई है कहाँ जा कर

उनको तू तेरे दुख की परवाह नहींकोई
मरने के सिवा ऐ दिल अब राह नहीं कोई
अब राह नहीं कोई
मिटती है तो मिटने दे तसवीर मोहब्बत की

अब मौत ही बातें तदबीर मोहब्बत की
सोई है कहाँ जा कर

Comments/Credits:

			 % Song courtesy: http://www.indianscreen.com (Late Shri Amarjit Singh)
		     
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