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sochataa kyaa hai sudarshan ke chalaane vaale

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सोचता क्या है सुदर्शन के चलानेवाले -२
उठके अब बिगड़ी बना बिगड़ी बनानेवाले -२
सोचता क्या ...

<स्पोकेन> ये कौन ग रहा है इस वक़्त?

सर पे जब टूट पड़े ...
सर पे जब टूट पड़े रन्ज-ओ-मुसीबत के पहाड
लाज रख दे ऐ गोवर्धन के उठानेवाले -२
सोचता क्या है सुदर्शन के चलानेवाले
सोचता क्या ...

<स्पोकेन> आज भगवान को फ़ुर्सत नहीं(?), ताज शागिर्द कहने आये
हैं

देश का नाश हो फिर रास रचाना कैसा, रास रचाना कैसा -२
अब तो तलवार पकड बंसी बजानेवाले -२

सोचता क्या है सुदर्शन के चलानेवाले
उठके अब बिगड़ी बना बिगड़ी बनानेवाले
सोचता क्या है...

Comments/Credits:

			 % Transliterator: Hrishi Dixit
% Date: Feb 05 2003
		     
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