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shaq nahii.n rupaye me.n paa_ii kaa

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शक़ नहीं रुपये में पाई का
दुनिया है नाम सफ़ाई का

ये दुनिया हेरा फेरी है
कभी तेरी है तो कभी मेरी है
तुंदुना तुंदुना शूर, कली कलिंगन शूर
ओ ओ ओ बाबूजी, ओ बाबूजी, खेल सफ़ाई का
शक़ नहीं ...

चटक चटक चटकारे लेकर
सुनने वाले मेरे तराने
मुफ़्त बारी के गये ज़माने
जळ निकालो दो दो आने
ओ ना ना एक आना हम नहीं माँगता
दिन है ये महंगाई का
शक़ नहीं ...

धन दौलत के मतवालों की
हर बात निराली होती है
बाज़ार में निकले दीवाला
और घर में दीवाली होती है
है ये भी रंग कमाई का
शक़ नहीं ...

Comments/Credits:

			 % Transliterator: K Vijay Kumar 
% Date: May 11, 1998
% Comments: LATAnjali series
		     
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