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sapt suran tiin graam gaavo sab guNiijan

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सप्त सुरन तीन ग्राम गावो सब गुणीजन
इक्कीस मूर्छना तान-बान को मिलावो (२)
औढ़व संकीरण स्वर सम्पूरण राग भेद (२)
अलंकार भूशण बन (२)
राग को सजावो
सप्त सुरन

सा सुर साधो मन, रे अपने रब को चैन (२)
गांधार तजो गुमान (२)
मध्यम मोक्ष पावो
पंचम परमेश्वर, धैवत धरो ध्यान (२)
नी नित दिन प्रभू चरण शीतल आवो

सप्त सुरन तीन ग्रम गावो सब गुणीजन
इक्किस मूर्छना तान-बान को मिलावो
सप्त

Comments/Credits:

			 % Transliterator: K Vijay Kumar
		     
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