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ruudaad\-e\-mohabbat kyaa kahiye

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रूदाद-ए-मोहब्बत क्या कहिये कुछ याद रही कुछ भूल गये
दो दिन की मसर्रत क्या कहिये कुछ याद रही कुछ भूल गये

जब जाम दिया था साक़ी ने जब दौर चला था महफ़िल में
वो होश के साथी क्या कहिये कुछ याद रही कुछ भूल गये

एहसास के मयखाने में कहाँ अब फ़िक़्र-ओ-नज़र की कंदीलें
आलाम की शिद्दत क्या कहिये कुछ याद रही कुछ भूल गये

अब अपनी हक़ीक़त भी 'सागर' बेवक़्त कहानी लगती है
दुनिया की हक़ीक़त क्या कहिये कुछ याद रही कुछ भूल गये

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