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rulaa kar chal diye ik din ha.Nsii ban kar jo aaye the

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रुला कर चल दिये इक दिन हँसी बन कर जो आये थे
चमन रो-रो के कहता है, कभी गुल मुस्कुराये थे

अगर दिल के ज़ुबाँ होती तो ग़म कुछ कम तो हो जाता
उधर वो चुप, इधर सीने में हम तूफ़ाँ छुपाये थे
चमन रो-रो के कहता है ...

ये अच्छा था न हम कहते किसी से दासताँ अपनी
समझ पाये न जब अपने, पराये तो पराये थे
रुला कर चल दिये ...

Comments/Credits:

			 % Transliterator: K Vijay Kumar
		     
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