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raato.n ke saaye ghane jab bojh dil par bane

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(रातों के साये घने जब बोझ दिल पर बने
न तो जले बाती न हो कोई साथी - २
फिर भी न डर अगर बुझें दिये
सहर तो है तेरे लिये) - २

(जब भी मुझे कभी कोई जो ग़म घेरे
लगता है होंगे नहीं सपने यह पूरे मेरे) - २
कहता है दिल मुझको माना हैं ग़म तुझको
फिर भी न डर अगर बुझें दिये
सहर तो है तेरे लिये

(जब न चमन खिले मेरा बहारों में
जब डूबने मैं लगूँ रातों की मजधारों में) - २
मायूस मन डोले पर यह गगन बोले
फिर भी न डर अगर बुझें दिये
सहर तो है तेरे लिये

(जब ज़िन्दगी किसी तरह बहलती नहीं
खामोशियों से भरी जब रात ढलती नहीं) - २
तब मुस्कुराऊँ मैं यह गीत गाऊँ मैं
फिर भी न डर अगर बुझें दिये
सहर तो है तेरे लिये

रातों के साये घने जब बोझ दिल पर बने
न तो जलें बाती न हो कोई साथी - २
फिर भी न डर अगर बुझें दिये
सहर तो है तेरे लिये

Comments/Credits:

			 % Transliterator: Suneeta Donepudi 
% Editor: Rajiv Shridhar 
% Date: 03/30/1997
		     
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