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raat kii mahafil suunii suunii

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रात की महफ़िल सूनी सूनी
आँखें पुरनम दिल नाकाम
सहमे सहमे अरमानों का
होना ही था ये अंजाम ...

भूल गये थे अपनी हस्ती
इश्क़-ओ-वफ़ा के जोश में हम
सब कुछ खोकर बेबस होकर
अब आये हैं होश में हम
प्यासे रह गये दिल के अर्मान
छूटा साक़ी टूटा जाम
होना ही था ये अंजाम ...

सर को जहाँ टकराये जाके
ऐसी कोई दीवार नहीं
हाये री क़िस्मत हम दुनिया में
प्यार के भी हक़दार नहीं
दिल होता जो अपने बस में
लेते न हम प्यार का नाम
होना ही था ये अंजाम ...

रात कि महफ़िल्ल सूनी सूनी ...

Comments/Credits:

			 % Transliterator: Vandana (vandana_iyengar@hotmail.com)
% Date: July 2, 1999
% Comments: Geetanjali series
% Credits: V S Rawat
		     
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