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pyaas wo dil kii bujhaane kabhii aayaa bhii nahii.n - - Ghulam Ali

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प्यास वो दिल की बुझाने कभी आया भी नहीं
कैसा बादल है कि जिसका कोई साया भी नहीं

बेरुख़ी इससे बड़ी और भला क्या होगी
एक मुद्दत से हमें उसने सताया भी नहीं

रोज़ आता है दर-ए-दिल पे वो दस्तक देने
आज तक हमने जिसे पास बुलाया भी नहीं

सुन लिया कैसे ख़ुदा जाने ज़माने भर ने
वो फ़साना जो कभी हमने सुनाया भी नहीं

तुम तो शायर हो 'क़तील' और वो इक आम सा शख्स
उसने चाहा भी तुझे और जताया भी नहीं

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