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phir saawan rut kii pawan chalii tum yaad aaye

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फिर सावन रुत की पवन चली तुम याद आये
फिर पत्तों की पाजेब बजी तुम याद आये

फिर कूँजें बोलीं घास के हरे समुन्दर में
रुत आई पीले फूलों की तुम याद आये

पहले तो मैं चीख के रोया और फिर हँसने लगा
बादल गरजा बिजली चमकी तुम याद आये

फिर कागा बोला घर के सूने आँगन में
फिर अमृत रस की बूँद पड़ी तुम याद आये

दिन भर तो मैं दुनिया के धंधों में खोया रहा
जब दीवारों से धूप ढली तुम याद आये

Comments/Credits:

			 % Transliterator: Vinay P Jain
% Credits: Ashok Dhareshwar
% Date: 11 Aug 2004
% Series: Andaaz-e-Bayaan Aur
% generated using giitaayan
		     
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