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phir chhi.Dii raat, baat phuulo.n kii

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म: (फिर छिड़ी रात, बात फूलों की
फ़: रात है या बारात फूलों की) -२

फ़: फूल के हार फूल के गजरे -२
शाम फूलों की, रात फूलों की

म: आपका साथ-साथ फूलों का -२
आपकी बात बात फूलों की

फ़: फूल खिलते रहेंगे दुनिया में -२
रोज़ निकलेगी बात फूलों की

म: नज़रें मिलती हैं जाम मिलते हैं -२
मिल रही है हयात फूलों की

म/फ़: ये महकती हुई ग़ज़ल मख़दूं -२
जैसे सहरा में रात फूलों की

Comments/Credits:

			 % Transliterator: Rajiv Shridhar  
% Editor: Rajiv Shridhar 
		     
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