Browse songs by

parbato.n ke pe.Do.n par shaam kaa baseraa hai

Back to: main index
View: Plain Text, हिंदी Unicode, image


र: पर्बतों के पेड़ों पर शाम का बसेरा है
सुरमई उजाला है, चम्पई अंधेरा है

सु: दोनों वक़्त मिलते हैं दो दिलों की सूरत से
आस्मं ने खुश होके रँग सा बिखेरा है

र: ठहते-ठहरे पानी में गीत सर-सराते हैं
भीगे-भीगे झोंकों में खुशबुओं का डेरा है
पर्बतों के पेड़ों पर ...

सु: क्यों न जज़्ब हो जाएं इस हसीन नज़ारे में
रोशनी का झुरमट है मस्तियों का घेरा है
पर्बतों के पेड़ों पर ...

र: अब किसी नज़ारे की दिल को आर्ज़ू क्यों है
जब से पा लिया तुम को सब जहाँ मेरा है

दो: जब से पा लिया तुम को सब जहाँ मेरा है
पर्बतों के पेड़ों पर ...

Comments/Credits:

			 % Transliterator: Rajiv Shridhar 
% Date: 11/02/1996
		     
View: Plain Text, हिंदी Unicode, image