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naukarii sau kii hazaar kii

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कि : नौकरी सौ की हज़ार की क़ीमत नहीं होती प्यार की
प्यार अनमोल है एक मीठा बोल है
मीठी-मीठी बातें यार की
नौकरी सौ की ...
दो : नौकरी सौ की ...

कि : मुश्क़िल राहों से अक्सर बचकर लोग निकलते हैं
फूलों के जो आशिक़ हैं वो काँटों पे चलते हैं
छोड़ के गलियाँ बहार की
अ : नौकरी सौ की ...
दो : नौकरी सौ की ...

अ : प्यार नहीं करता कोई दौलत के दीवानों से
वो क्या जानें फ़र्क़ है क्या दिल और दुकानों में
दिल अमानत दिलदार की
दो : नौकरी सौ की ...

कि : बरसेगी बन के घटा ये अपनी जो प्यास है
अ : ये अपनी जो प्यास है
हम जागे उसके लिए अब वो सुबह पास है
कि : वो सुबह पास है
दो : रात बीती इन्तज़ार की
नौकरी सौ की ...

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