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naa jaane din kaise jiivan me.n aaye hai.n

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ना जाने दिन कैसे जीवन में आये हैं
के मुझसे तो बिछड़े ख़ुद मेरे साये हैं

क्या क्या सोचा था क्या थी उम्मीदें
जिसके लिये भी मैंने खो दी आँखों की ये नींदें
उसीसे दुखों के तोहफ़े ये पाये हैं
ना जाने ...

समझा सुख जिसको छाया थी ग़म की
जैसे कहीं रेत पे चमके कुछ बूँदें शबनम की
ये धोखे नज़र के हमने भी खाये हैं
ना जाने ...

Comments/Credits:

			 % Contributor: Surma Bhopali
% Transliterator: Surma Bhopali
% Date: 26 Oct 2003
% Series: GEETanjali
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