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mujhe gale se lagaa lo, bahut udaas huu.N mai.n

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आ: मुझे गले से लगा लो, बहुत उदास हूँ मैं

नज़र में तीर से चुभते हैं अब नज़ारों से
मैं थक गई हूँ सभी टूटते सहारों से
अब और बोझ न डालो

र: बहुत सही, ग़म-ए-दुनिया, मगर उदास न हो
करीब है शब-ए-ग़म की, सहर उदास न हो
बहुत सही

सितम के हाथ की तलवार टूट जाएगी
ये ऊँच-नीच की चीवार टूट जाएगी
तुझे कसम है मेरी हमसफ़र उदास न हो

आ: न जाने कब ये तरीका ये तौर बदलेगा
सितम का ग़म कब मुसीबत का दौर बदलेगा
मुझे जहाँ से उठा लो, बहुत उदास हूँ मैं

Comments/Credits:

			 % Transliterator: Rajiv Shridhar (rajiv@hendrix.coe.neu.edu)
% Date: Sat Jan 27, 1996
		     
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