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mujhe de rahe hai.n tasalliyaa.N - - Jagjit Singh

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मुझे दे रहे हैं तसल्लियाँ वो हर एक ताज़ा पयाम से
कभी आ के मन्ज़र-ए-आम पर, कभि हट के मन्ज़र-ए-आम से

न ग़रज़ किसी से न वासता, मुझे काम अपने ही काम से
तेरे ज़िक्र से, तेरी फ़िक्र से, तेरी याद से, तेरे नाम से

मेरे साक़िया! मेरे साक़िया! तुझे मर्हबा! तुझे मर्हबा!
तू पिलाये जा, तु पिलाये जा, इसी चश्म-ए-जाम-ब-जाम से

तेरि सुभ-ओ-ऐश है क्या बला, तुझे ऐ फ़लक जो हो हौसला
कभी कर ले आ के मुक़ाबला, ग़म-ए-हिज्र-ए-यार की शाम से

Comments/Credits:

			 % Transliterator: K Vijay Kumar
		     
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