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merii sun le araj banavaarii

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मेरी सुन ले अरज बनवारी
तेरे द्वार खड़ी दुखियारी

आर न सूझे पार न सूझे
अब कोई दूजा द्वार न सूझे
कौन ठिकाने जाऊँ प्रभु मैं
छोड़ के शरण तिहारी -२
तेरे द्वार खड़ी ...

छिन गया मेरी आँख का मोती
खो गई इन नैनन की ज्योति
तेरे जगत में भटक रही हूँ
मैं ममता की मारी
तेरे द्वार खड़ी ...

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