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mere Kayaalo.n kii rahaguzar se

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मेरे ख़यालों की रहगुज़र से वो देखिए वो गुज़र रहे हैं
मेरी निगाहों के आसमाँ से ज़मीन-ए-दिल पर उतर रहे हैं

ये कैसे मुमकिन है हमनशीनो कि दिल को दिल की ख़बर न पहुंचे
उन्हें भी हम याद आते होंगे कि जिन को हम याद कर रहे हैं

तुम्हारे ही दम क़दम से थी जिन की मौत और ज़िंदगी अबारत
बिछड़ के तुम से वो नामुराद अब न जी रहे हैं न मर रहे हैं

इसी मोहब्बत की रोज़-ओ-शब हम सुनाया करते थे दास्तानें
इसी मोहब्बत का नाम लेते हुए भी हम आज डर रहे हैं

चले हैं थोड़े ही दूर तक बस वो साथ मेरे 'सलीम' फिर भी
ये बात मैं कैसे भूल जाऊँ कि हम कभी हमसफ़र रहे हैं

Comments/Credits:

			 % Transliterator: Ashok Dhareshwar
% Date: 30 May 2004
% Series: GEETanjali
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