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mere dilabar mujh par Kafaa na ho

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र : ( मेरे दिलबर मुझ पर ख़फ़ा न हो -२
कहीं तेरी भी कुछ ख़ता न हो
जो ये दिल दीइवाना मचल गया -२
को : जो ये दिल दीइवाना ... ) -२

जो किसी के रोके रुका न हो
किसी संग-ए-दर पर झुका न हो
तेरे दर पर कैसे फिसल गया

ये नज़र में मस्ती घुली-घुली
ये सुनहरी रंगत धुली-धुली
ये घनेरी ज़ुल्फ़ें खुली-खुली

वो ज़माने भर का ग़ुरूर है
वो नशा है जो भी सुरूर है
वो तेरे शबाब में ढल गया

मेरे दिल की जानिब निग़ाह कर
ओ मुझे ना ग़म से तबाह कर -२
कभी भूल से ही निग़ाह कर

ओ ज़रा सोच कि दुनिया कहेगी क्या
तेरी रुसवाई बच रहेगी क्या
जो दीवाना घर से निकल गया

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