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mausam hai aashiqaanaa

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( मौसम है आशिक़ाना
ऐ दिल कहीं से उनको ऐसे में ढूँढ लाना
ऐसे में ढूँढ लाना ) -२
मौसम है आशिक़ाना

कहना के रुत जवां है, और हम तरस रहे हैं
काली घटा के साए, बिरहन को डँस रहे हैं
डर है न मार डाले सावन का क्या ठिकाना
सावन का क्या ठिकाना
मौसम है आशिक़ाना

सूरज कहीं भी जाए तुम पर न धूप आए
तुम पर न धूप आए
आऽ
तुमको पुकारते हैं, इन गेसुओं के साए
आ जाओ मैं बना दूँ पलकों का शामियाना
पलकों का शामियाना
मौसम है आशिक़ाना

फिरते हैं हम अकेले, बाँहों में कोई ले ले
आख़िर कोई कहाँ तक, तनहाइयों से खेले
दिन हो गए हैं ज़ालिम रातें हैं क़ातिलाना
रातें हैं क़ातिलाना
मौसम है आशिक़ाना

आऽ
ये रात ये ख़मोशी ये ख़ाब से नज़ारे
ये ख़ाब से नज़ारे ए ए
जुग्नू हैं या ज़मीं पर, उतरे हुए हैं तारे
बेख़ाब मेरी आँखें
बेख़ाब मेरी आँखें मदहोष है ज़माना
मदहोष है ज़माना
मौसम है आशिक़ाना
ऐ दिल कहीं से उनको ऐसे में ढूँढ लाना
मौसम है आशिक़ाना

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