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man saajan ne har liinhaa ... jo mai.n jaanatii bisarat hai.n sayyaa.N

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मन साजन ने हर लीन्हा

जो मैं जानती बिसरत हैं सैंया -२
घुँघटा में आग लगा देती -२
मैं लाज के बंधन तोड़ सखी -२
पिया प्यारे को अपने मना लेती -२

( मेरे हार-सिंगार की रात गई
पियू संग उमंग मेरी आज गई ) -२
घर आए ना मोरे साँवरिया -२
मैं तो तन-मन उनपे ओ
मैं तो तन-मन उनपे लुटा देती
जो मैं जानती ...

( मोहे प्रीत की रीत न भाई सखी
मैं बनके दुल्हन पछताई सखी ) -२
होती ना अगर दुनिया की शरम -२
उन्हें भेज के पतियाँ ओ
उन्हें भेज के पतियाँ बुला लेती
जो मैं जानती ...

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