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man kaa pa.nchhii mast pavan me.n

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ओ, मन का पंछी मस्त पवन में

मन का पंछी मस्त पवन में उड़ता झोंके खाए
जिया मेरा तिरछा होये होये जाए -२
ओ, मन का पंछी

दर्पन में जब मुखड़ा देखूँ नज़र और कोई आए -२
प्यार भरे हाथों से मेरी लट उलझी सुलझाए -२
धक धक धक धक जी क्यों धड़के, क्यों धड़के
नहीं समझ में आए
जिया मेरा तिरछा होये होये जाए ...

निकले तीर, निकले तीर, कमान सँभालो
हो, नैनन कातिल वाले निकले तीर, निकले तीर
किस में हिम्मत, है किस में हिम्मत आज इन के बदले ओर बचा ले
देखें किस घायल के दिल में लगी रहेगी हाय
लगी रहेगी हाय, जिया मेरा तिरछा होये होये जाए ...

Comments/Credits:

			 % Transliterator: Arunabha S Roy
% Date: 12 Jun 2003
% Series: Anilda series
% generated using giitaayan
		     
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