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mailii chaadar o.Dhake kaise dwaar tumhaare aauu.N - - Hari Om Sharan

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( मैली चादर ओढ़के कैसे द्वार तुम्हारे आऊँ ) - २
हे पावन परमेश्वर मेरे मन ही मन शरमाऊँ

तूने मुझको जग में भेजा निर्मल देकर काया
आकर के संसार में मैंने इसको दाग लगाया
जनम-जनम की मैली चादर कैसे दाग छुड़ाऊँ
मैली चादर ...

निर्मल वाणी पाकर तुझसे नाम न तेरा गाया
नैन मूंदकर हे परमेश्वर कभी न तुझको ध्याया
मन वीणा की तारें टूटी अब क्या गीत सुनाऊँ
मैली चादर ...

इन पैरों से चलकर तेरे मंदिर कभी ना आया
जहाँ-जहाँ हो पूजा तेरी कभी न शीश झुकाया
हे हरिहर मैं हार के आया अब क्या हार चढ़ाऊँ
मैली चादर ...

Comments/Credits:

			 % Contributor: Surma Bhopali
% Transliterator: Surma Bhopali
% Date: 9 Jan 2004
% Series: Sukhsaagar
% generated using giitaayan
		     
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