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Maa.n ko pukaar kar ... mere laal

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मां को पुकारकर पूछा बच्चे ने
आया कहाँ से हूँ माँ बोलो तो
पड़ा कहाँ पाया गया बोलो तो
सुनकर सवाल यह
माँ के स्तनों से उफन पड़ा दूध
और बह आया आँखों से उत्तर

मेरे लाल
तुम तो हमेशा थे
मेरे मन की अभिलाषा मे
मेरे तन की परिभाषा मे
बचपन के गुड़ियाघर मे
कित्नी बार तुझे खेलते-खेलते तोड़ा
तोड़ते-तोड़ते जोड़ा
पाकर खोया और खोकर पाया है
कहाँ से बताऊँ तू आया है
पड़ा तुझे मैने कहाँ पाया है
मेरे लाल

(मिला था मन को मेरे जब इक तन
उप्जा था तू ही इक मधुर छंद बन)/-२

गात-गात अंग अंग महका था छुन चननन
ओस भरी सुबह से
सुहाग के संगीत से
सब की मनुहार से
इँद्रधनुषी सप्नों सा आया है
कहाँ से बताऊँ तू आया है
पड़ा तुझे मैने कहाँ पाया है
मेरे लाल

तू हाँ तू ही तो है मेरी अमर आशा
सुबह का सपना
माँ और दादी की सुनहरी ख़्वाहिश
प्रेम की परंपर क्वाब की ख़्वाहिश
और प्रेम की आशा से बनी तेरी कया है
कहाँ से बताऊँ तू आया है
पड़ा तुझे मैने कहाँ पाया है
मेरे लाल

Comments/Credits:

			 % Contributor: Vibhendu Tewari
% Date:Dec 7, 2002
% Comments: GEETanjali series, generated using giitaayan
		     
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