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kyaa raat suhaanii hai

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रफ़ी:
क्या रात सुहानी है, क्या रात सुहानी है
आज ज़माने की हर शै पे जवानी है

लता:
अनमोल निशानी है, अनमोल निशानी है
तू मेरी उल्फ़त के ख़्वाबों की जवानी है

रफ़ी:
कुछ कह दो निगाहों में, कुछ कह दो निगाहों में
आज सिमट आओ तरसी हुई बाहों में
कुछ कह दो निगाहों में

लता:
हसरत है निगाहों में, हसरत है निगाहों में
दूर कहीं चल दूँ छुप कर तेरी बाहों में

रफ़ी:
तक़दीर सम्भल जाए, तक़दीर सम्भल जाए
ग़र मेरे सीने पर ये ज़ुल्फ़ मचल जाए

लता:
ये रात ना ढल जाए, ये रात ना ढल जाए
सुबह के तारे की नीयत ना बदल जाए

दोनों:
क्या रात सुहानी है, क्या रात सुहानी है
आज ज़माने की हर शै पे जवानी है
क्या रात सुहानी है

Comments/Credits:

			 % Transliterator: Nimish Pachapurkar
% Date: Nov 15, 2002
% Comments: GEETanjali Series
% generated using giitaayan
		     
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