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kyaa kyaa na log chal base

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क्या क्या न लोग चल बसे -२
शौक़-ए-जमाल-ए-यार में
हमसे हज़ारों मिट गये -२
हालत-ए-इन्तेज़ार में

पूरी तरह खिले न फूल
रह गयी दिल में हसरतें -२
बाग़ ही सारा जल गया -२
आग लगी बहार में
क्या क्या न लोग ...

फीकी पड़ी है चाँदनी
तारे भी झिलमिलाते हैं -२
सब हैं नज़र में बेक़रार -२
दिल जो नहीं क़रार में
क्या क्या न लोग ...

मिट भी गये तो क्या हुआ
मौत है एक ज़िंदगी -२
एक नाम और बढ़ गया -२
दुनिया की यादगार में
क्या क्या न लोग ...

Comments/Credits:

			 % Transliterator: K Vijay Kumar
% Date: September 28, 1998
% Comments: LATAnjali series
		     
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