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kyaa ho phir jo din ra.ngiilaa ho

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ग़ेएत:क्या हो फिर जो दिन रंगीला हो
रैत चमके समुन्दर नीला हो
और आकाश गीला गीला हो

क्या हो फिर जो दिन रंगीला हो
रस चमकी समुन.दर नीला हो
और आकाश गीला गीला हो

आश:आहा फिर तो बदा मज़ा होगा
अम्बर झुका झुका होगा
सागर रुका रुका होगा
तूफ़ान छुपा छुपा होगा

हाँ फिर तो बदा मज़ा होगा
अम्बर झुका झुका होगा
सागर रुका रुका होगा
तूफ़ान छुपा छुपा होगा

ग़ेएत:क्या हो फिर जो चंचल घातें हो
होंठों पे मचलती बातें हो
सावन हो भरि बर्सातेइन होन

आश:आहा फिर तो बदा मज़ा होगा
कोई कोई फिसल रहा होगा
कोई कोई सम्भल रहा होगा
कोई कोई मचल रहा होगा

आश:हाँ फिर तो बदा मज़ा होगा
कोई कोई फिसल रहा होगा
कोई कोई सम्भल रहा होगा
कोई कोई मचल रहा होगा

ग़ेएत:क्या हो फिर जो दुनियाँ सोती हो
और तारों भरी खामोशी हो
हर आहट पे धड़कन होती हो

आश:आहा फिर तो बदा मज़ा होगा
दिल दिल मिला मिला होगा
तन मन खिला खिला होगा
दुश्मन जला जला होगा

आश:हाँ फिर तो बदा मज़ा होगा
दिल दिल मिला मिला होगा
तन मन खिला खिला होगा
दुश्मन जला जला होगा

Comments/Credits:

			 % Transliterator: V S Rawat
		     
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