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kurbato.n me.n bhii judaa_ii ke zamaane maa.Nge - - Ghulam Ali

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कुर्बतों में भी जुदाई के ज़माने माँगे
दिल वो बे-मेहर कि रोने के बहाने माँगे

अपना ये हाल कि जी हार चुके, लुट भी चुके
और मुहब्बत वही अंदाज़ पुराने माँगे

हम न होते तो किसी और के चर्चे होते
ख़ल्क़त-ए-शहर तो कहने को फ़साने माँगे

यही दिल था कि तरसता था मरासिम के लिये
अब यही तर्क-ए-तअल्लुक़ के बहाने माँगे

दिल किसी हाल पे थामे ही नहीं जाम-ए-करार
मिल गये तुम भी तो क्या और न जाने माँगे

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