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ko_ii din zindagii ke gunagunaa kar hii bitaataa hai

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कोई दिन ज़िन्दगी के गुनगुना कर ही बिताता है
कोई पा कर के खोता है कोई खो कर के पाता है

हमारी ज़िन्दगी भी क्या कभी हँसना कभी रोना
जिसे हम अपना कहते हैं वो हमसे दूर जाता है

उम्मीदें लुट गईं जिसकी तसव्वुर छिन गया जिसका
वो कश्ती आप ही गहरे समन्दर में डुबाता है

अगर दिल हो गया वीराँ करूँगा मौत से उल्फ़त
किसी बद्हाल पर अब कौन दो आँसू बहाता है

किसी के चैन से आराम से क्या वास्ता अपना
न कोई साथ देता है न कोई पास आता है

Comments/Credits:

			 % Credits: This lyrics were printed in Listeners' Bulletin Vol #66 under Geetanjali #56
		     
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