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kitane ajiib rishte yahaa.N ke

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कितने अजीब रिश्ते यहाँ के
दो पल मिलते हैं साथ-साथ चलते हैं
जब मोड़ आए तो बचके निकलते हैं

यहाँ सभी अपनी ही धुन में दीवाने हैं
करें वोही जो अपना दिल ठीक माने है
कौन किसको पूछे कौन किसको बोले
सबके लबों पर अपने तराने हैं
ले जाए नसीब किसको कहाँ पे
कितने अजीब रिश्ते यहाँ के

ख़्वाबों की ये दुनिया है ख़्वाबों में ही रहना है
राह लिये जाए जहाँ संग-संग चलना है
वक़्त ने हमेशा यहाँ नये खेल खेले
कुछ भी हो जाए यहाँ बस खुश रहना है
मंज़िल लगे क़रीब सब को यहां पे
कितने अजीब रिश्ते यहाँ के

Comments/Credits:

			 % Transliterator: Arunabha S Roy
% Date: 15 Feb 2005
% Series: LATAnjali
% generated using giitaayan
		     
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