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kaun kisii ko baa.Ndh sakaa

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र: कौन किसी को बाँध सका
हाँ कौन किसी को बाँध सका सय्याद तो इक दीवाना है
तोड़ के पिंजरा एक न एक दिन पंछी को उड़ जाना है
कौन किसी को बाँध सका सय्याद तो इक दीवाना है
तोड़ के पिंजरा एक न एक दिन पंछी को उड़ जाना है

अंगड़ाई ले कर के जागी है नौजवानी -२
सपने नये हैं और ज़ंजीर है पुरानी
पहरेदार फ़ाते से
बरसो राम धड़ाके से
होशियार भइ सब होशियार
रात अंधेरी रुत बरखा और ग़ाफ़िल सारा ज़माना है

तोड़ के पिंजरा एक न एक दिन पंछी को उड़ जाना है
कौन किसी को बाँध सका सय्याद तो इक दीवाना है
तोड़ के पिंजरा एक न एक दिन अरे पंछी को उड़ जाना है

ओऽ होऽ
( खिड़की से रुकता है झोंका कहीं हवा का
हिल जायें दीवारें ऐसा करो धमाका ) -२
बोले ढोल ताशे से
बरसो राम धड़ाके से
होशियार भइ सब होशियार
देख के भी न कोई देखे ऐसा कुछ रंग जमाना है

तोड़ के पिंजरा एक न एक दिन पंछी को उड़ जाना है
कौन किसी को बाँध सका सय्याद तो इक दीवाना है
तोड़ के पिंजरा एक न एक दिन पंछी को उड़ जाना है

कह दो शिकारी से फंदा लगा के देखे -२
अब जिसमें हिम्मत हो रस्ते में आ के देखे
निकला शेर हाँके से
बरसो राम धड़ाके से
जाने वाले को जाना है और सीना तान के जाना है

तोड़ के पिंजरा एक न एक दिन पंछी को उड़ जाना है
को: ( कौन किसी को बाँध सका सय्याद तो इक दीवाना है
तोड़ के पिंजरा एक न एक दिन पंछी को उड़ जाना है ) -२

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