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kamasinii me.n dil pe Gam kaa baar kyo.N

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कमसिनी में दिल पे ग़म का बार क्योँ -२
वा ये क़िस्मत पास गुल के ख़ार क्योँ -२

टूट जब उम्मीद ही अपनी गयी -२
बँध रहा है आँसुओं का तार क्योँ -२

दिल हुआ टुकड़े तो पहले बार में -२
फिर भी तीरों की है ये बौछार क्योँ

वीर इस दीवानगी में है मज़ा -२
लोग कहते हैं इसे आज़ार क्योँ -२

Comments/Credits:

			 % Song courtesy: http://www.indianscreen.com (Late Shri Amarjit Singh)
		     
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