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kamar baa.Ndhe hu_e chalane ko yaa.N sab yaar baiThe hai.n - - Rafi

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कमर बाँधे हुए चलने को याँ सब यार बैठे हैं
बहुत आगे गये बाक़ी जो हैं तैय्यार बैठे हैं

न छेड़ ऐ नकहत-ए-बाद-ए-बहारी राह लग अपनी
तुझे अटखेलियाँ सूझी हैं हम बेज़ार बैठे हैं

तसव्वुर अर्श पे है और सर है पा-ए-साक़ी पर
ग़रज़ कुछ और धुन में इस घड़ी मैख़्वार बैठे हैं

भला गर्दिश फ़लक की चैन देती है किसे 'इन्शा'
ग़नीमत है के हमसूरत यहाँ दो चार बैठे हैं

Comments/Credits:

			 % Series: Rafi Veritable Gems, Date: 15 Aug 2004
% Credits: Afzal A Khan
		     
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