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kalpanaa ke ghan barasate

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ल: कल्पना के घन बरसते गीत गीले हो रहे
भाव रिमझिम कर रहे हैं स्वर रसीले हो रहे

नाचतीं श्यामल घटाएँ थिरकती बरसात है
म: इक कहानी बनके आई ये सुहानी रात है
झूमता फिरता पवन
ल: हो, झूमता फिरता पवन झोंके नशीले हो रहे
कल्पना के घन बरसते

ल: किस प्रणय की आग में जल (गीत गाता है पवन) -२
गीत गाता है पवन
म: मांग भरता है दुल्हन की (मोतियों से ये गगन) -२
(झुक रहे तेरे नयन) -२ कितने न हीले हो रहे
कल्पना के घन बरसते

Comments/Credits:

			 % Transliterator: Arunabha S Roy
% Date: 12 Nov 2004
% Series: LATAnjali
% generated using giitaayan
		     
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