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kal jalegaa chaa.Nd saarii raat

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कल जलेगा चाँद सारी रात
रात भर होती रहेगी आग की बरसात

बज रहे थे घुँघरू जो बादलों के पाँव में
कल वही रोएँगे झर-झर आस्माँ की छाँव में
कह न पाएँगे सितारे अपने दिल की बात
कल जलेगा चाँद ...

तुम उधर सो जाओगे सपनों के मीठे राग में
मैं इधर जलती रहूँगी चाँदनी की आग में
ख़ून बन कर दिल बहेगा आँसुओं के साथ
कल जलेगा चाँद ...

Comments/Credits:

			 % Credits: This lyrics were printed in Listeners' Bulletin Vol #102 under Geetanjali #92
		     
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